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जायज एवं नाजायज पत्नियों की लड़ाई में न्याय की मांग, लेकिन नहीं मिला इंसाफ

सिंदू और उसके बेटे का भविष्य अधर में लटका, प्रशासन मौन

अम्बेडकरनगर (विकास खंड टांडा) ग्रामसभा नेपुरा जलालपुर की रहने वाली सिंदू, जिसने हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार स्व. रामगरीब से विवाह किया था, आज अपने 14 वर्षीय बेटे के साथ न्याय के लिए भटक रही है। रामगरीब की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद से जायज और नाजायज पत्नी की लड़ाई का यह मामला अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है।
सिंदू का आरोप है कि रामगरीब की मौत साजिश के तहत हुई थी। वह बताती हैं कि गांव की एक महिला सुरेखा, जो खुद को रामगरीब की पत्नी बताती है, ने गांव के एक दबंग व्यक्ति के साथ मिलकर रामगरीब को शराब में ज़हर देकर मार दिया।

🧾 पोस्टमार्टम से लेकर बिसरा रिपोर्ट तक साजिश की आशंका

रामगरीब के शव को जब केले के पत्ते पर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, तब सिंदू ने डायल 112 पर कॉल कर हस्तक्षेप कराया और पोस्टमार्टम की मांग की।
हालांकि सिंदू का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेराफेरी हुई, और बिसरा रिपोर्ट दो साल बाद भी उन्हें नहीं दी गई है। इसके चलते पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की, और मामले को बिसरा रिपोर्ट के बाद कार्रवाई का हवाला देकर टाल दिया।

🧑‍⚖️ दो वर्षों से न्याय की गुहार, लेकिन सुनवाई नहीं

सिंदू ने बीते दो वर्षों में जिले के लगभग हर वरिष्ठ अधिकारी की चौखट खटखटाई, लेकिन उसे अब तक न्याय नहीं मिल पाया।
जिला राज्य पंचायत अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर विकासखंड टांडा के सचिव अमर पाल शर्मा और एडीओ पंचायत के साथ दो बार पंचायत भवन में बैठकें हुईं, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं निकला।

सिंदू का गंभीर आरोप है कि विकासखंड टांडा के सचिव और एडीओ पंचायत की मिलीभगत, गांव के उस दबंग व्यक्ति और सुरेखा के साथ है, जो रामगरीब की संपत्ति पर कब्जा करना चाहता है।

🔥 मारपीट, जानलेवा हमला और थाने से लेकर तहसील तक सुनवाई नहीं

सिंदू ने यह भी बताया कि सुरेखा ने उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया, और जान से मारने की कोशिश की। किसी तरह भागकर उसने थाना इब्राहिमपुर में एफआईआर दर्ज कराई, लेकिन सुरेखा की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई। जहां धारा 116 का वाद टांडा नायब तहसीलदार के यहां लंबित है।
धारा 145 की फाइल, जो इब्राहिमपुर थाना टांडा सीओ कार्यालय → एसडीएम कोर्ट तक तीन बार भेजी गई, लेकिन हर बार पेशकार फाइल में कमी निकाल कर लौटा देते हैं।
न्यायिक प्रक्रिया जानबूझकर लटकाई जा रही है,
यह सिंदू का स्पष्ट आरोप है। 27 मई 2025 को पंचायत भवन में बैठक कोरम के अभाव में स्थगित हो गया। जिसके बाद 23 जून 2025 को अगली बैठक में वादी पक्ष तो उपस्थित रहा, लेकिन विपक्षी अनुपस्थित रहे।
अब नजरें 8 जुलाई 2025 की प्रस्तावित बैठक पर टिकी हैं — क्या इस बार न्यायिक मजिस्ट्रेट सिंदू की व्यथा सुनकर उसे न्याय दिला पाएंगे।

उत्तर प्रदेश सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस” नीति पर सवाल

जहां उत्तर प्रदेश सरकार ज़ीरो टॉलरेंस की नीति की बात करती है, वहीं विकासखंड टांडा में न्याय की जगह टालमटोल का रवैया अपनाया जा रहा है। सिंदू का आरोप है कि सच को दबाने और झूठ को बढ़ावा देने में प्रशासन की चुप्पी शामिल है।

कहां जाएगा सिंदू और उसके बेटे का भविष्य?

रामगरीब की विधिवत पत्नी होने के बावजूद सिंदू को संपत्ति, सम्मान और सुरक्षा से वंचित किया जा रहा है। उसका 14 वर्षीय बेटा भी पिता के नाम, अधिकार और पहचान से वंचित होने के कगार पर है।

यह मामला केवल एक महिला का नहीं, बल्कि हर उस महिला का प्रतिनिधित्व करता है जो विवाह के बाद भी न्याय के लिए लड़ने को विवश है।

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