महानिदेशक स्कूल शिक्षा व राज्य परियोजना निदेशक को भेजा गया शिकायती पत्र
अम्बेडकरनगर। विकासखंड जहांगीरगंज अंतर्गत उच्च प्राथमिक विद्यालय नरियांव में तैनात प्रधानाचार्य इसरावती देवी की शैक्षणिक योग्यता और कार्यशैली को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। ग्राम पंचायत तिलक टांडा निवासी प्रार्थिनी नीलम पत्नी राजेश ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, महानिदेशक स्कूल शिक्षा विभाग एवं राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा अभियान लखनऊ को एक विस्तृत शिकायती पत्र भेजा है।
शिकायत में प्रधानाचार्या पर शैक्षणिक एवं वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। प्रार्थिनी के अनुसार, श्रीमती इसरावती देवी द्वारा नियुक्ति के समय प्रस्तुत किए गए शैक्षणिक प्रमाणपत्र संदेहास्पद हैं। आरोप है कि उन्होंने किसी अन्य व्यक्ति से परीक्षा दिलवाकर अंकपत्र प्राप्त किया, जिससे उनकी शैक्षणिक योग्यता की वैधता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है।
शिकायती पत्र में यह भी उल्लेख है कि प्रधानाचार्य का शैक्षणिक स्तर अत्यंत कमजोर है तथा वे कक्षा में बच्चों को विषयवस्तु स्पष्ट रूप से पढ़ाने में असमर्थ हैं। शिकायतकर्ता ने विद्यालय में प्रतिदिन शिक्षण कार्य की वीडियो रिकॉर्डिंग एवं जियो टैग फोटोग्राफी की मांग करते हुए कहा है कि इससे उनकी कक्षा गतिविधियों का प्रमाण एकत्र किया जा सकेगा।
प्रार्थिनी ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रधानाचार्या अक्सर विद्यालय में उपस्थित नहीं रहतीं, या फिर कुर्सी पर बैठकर समय व्यतीत करती हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने मांग की है कि शिक्षा विभाग से इतर किसी स्वतंत्र जांच समिति के माध्यम से प्रधानाचार्या के शैक्षिक स्तर की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
शिकायत में आगे कहा गया है कि इसरावती देवी की आयु 50 वर्ष से अधिक हो चुकी है। यदि वे शैक्षणिक रूप से अक्षम पाई जाती हैं, तो उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान की जाए, जिससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो, बल्कि सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग पर भी रोक लग सके।
इसके अतिरिक्त, शिकायत में मिड-डे मील योजना में अनियमितता और कॉम्पोजिट ग्रांट के ₹50,000 के मानकविहीन व्यय का भी जिक्र किया गया है। आरोप है कि प्रधानाचार्य ने योजनाओं से संबंधित चेक स्वयं के नाम पर काटकर गबन किया है।
प्रार्थिनी ने शिकायती पत्र में महानिदेशक स्कूल शिक्षा और राज्य परियोजना निदेशक से मामले की उच्चस्तरीय व निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की है, ताकि विद्यालय में व्याप्त अनियमितताओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लग सके और छात्रों के भविष्य के साथ हो रहा शैक्षणिक खिलवाड़ समाप्त हो।