अम्बेडकर नगर। जलालपुर (उत्तर प्रदेश) सऊदी अरब में रोज़ी-रोटी की तलाश में गए उसमापुर, जलालपुर निवासी शमीम हैदर की मौत के बाद उनके परिवार पर ग़मों का पहाड़ टूट पड़ा। बीते एक मार्च को रियाद में एक हादसे में उनकी दुखद मृत्यु हो गई थी। लेकिन मौत से भी बड़ा दुख तब सामने आया जब उनके शव की वतन वापसी एक चुनौती बन गई।

परिजनों की तमाम कोशिशों के बावजूद जब कोई राह नज़र नहीं आई, तब उन्होंने जिले के वरिष्ठ समाजसेवी और ‘रियल लाइफ बजरंगी भाईजान’ के नाम से मशहूर सैय्यद आबिद हुसैन से मदद की गुहार लगाई। आबिद हुसैन ने इंसानियत की एक मिसाल कायम करते हुए तुरंत भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय से संपर्क साधा और पूरे मामले को प्राथमिकता से उठाया।
करीब एक महीने की अथक कोशिशों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं से गुजरते हुए, अंततः बीते बुधवार को शमीम हैदर का शव उनके पैतृक घर जलालपुर पहुंचा। शव के पहुंचते ही परिवार में कोहराम मच गया। परिजन, जिनकी आंखें बेटे, भाई और पिता की एक झलक पाने को तरस रही थीं, वे बिलख उठे।
शमीम के दो मासूम बेटे भी पिता के अंतिम दर्शन का महीनों से इंतजार कर रहे थे। गांव और आसपास के लोग भारी संख्या में अंतिम संस्कार में शामिल हुए और वतन की मिट्टी में उसे सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
इस मानवीय कार्य के लिए सैय्यद आबिद हुसैन की इलाके भर में सराहना की जा रही है। लोगों का कहना है कि यदि आबिद साहब ने पहल न की होती तो शायद शमीम का शव विदेश में ही रह जाता और परिवार को अंतिम विदाई का मौका भी नसीब न होता।
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि समाज में जब संवेदनशील और ज़िम्मेदार लोग आगे आते हैं, तो नामुमकिन भी मुमकिन हो जाता है। आबिद हुसैन की इस कोशिश को सलाम।