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गर्भपात मामले में आरोपी अब्दुर्रहमान की नई चाल: न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश, पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल/ हिन्दी दैनिक खबर सागर की आवाज़

अम्बेडकरनगर, हंसवर। थाना हंसवर क्षेत्र के बहुचर्चित गर्भपात प्रकरण में मुख्य आरोपी अब्दुर्रहमान एक बार फिर चर्चा में है। इस बार उस पर न्यायालय को गुमराह करने का गंभीर आरोप लगा है।

सूत्रों के अनुसार, बीते जून माह में अब्दुर्रहमान ने अकबरपुर न्यायालय में एक प्रार्थनापत्र दाखिल कर अपने चार परिजनों—मो. तारिक, अहमद कमर, अहमद जफर और सीमा खातून—के नाम से अ.सं. /2025, धारा 323, 504, 506 के तहत आत्मसमर्पण की अर्जी दी। लेकिन जब न्यायालय ने थाना हंसवर से रिपोर्ट तलब की, तो पुलिस ने स्पष्ट कर दिया कि इन धाराओं में संबंधित कोई मुकदमा थाने में दर्ज ही नहीं है।

इस घटनाक्रम को न्यायिक प्रक्रिया को गुमराह करने का प्रयास माना जा रहा है। गौरतलब है कि 4 अप्रैल 2025 को पुलिस अधीक्षक अम्बेडकरनगर के निर्देश पर थाना हंसवर में अब्दुर्रहमान के विरुद्ध अपराध संख्या 57/25, बीएनएस 2023 की धारा 69 व 89 में मुकदमा दर्ज किया गया था।

इस मामले में अब्दुर्रहमान का पुत्र समद और गर्भपात कराने वाली महिला डॉक्टर को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। हालांकि समद अब जमानत पर बाहर है।

चौंकाने वाली बात यह है कि जहां आरोपी के परिजन गिरफ्तार हो चुके हैं, वहीं मुख्य अभियुक्त अब्दुर्रहमान अब तक पुलिस गिरफ्त से बाहर है। यह पुलिस की कार्रवाई पर बड़ा सवाल खड़ा करता है—आखिर क्या कारण है कि इतने गंभीर मामले में नामजद होने के बावजूद अब्दुर्रहमान की गिरफ्तारी नहीं हो सकी?

अब्दुर्रहमान का दावा है कि उन्हें और उनकी पत्नी को उच्च न्यायालय से स्टे ऑर्डर मिला है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, उन्हें स्टे नहीं बल्कि पुलिस जांच में सहयोग करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं।

जब इस संबंध में अब्दुर्रहमान से संपर्क किया गया, तो उन्होंने इसे “एक गलती” बताया। परंतु विशेषज्ञों का मानना है कि यह “गलती नहीं बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को जानबूझकर गुमराह करने का प्रयास” है।

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