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सद्दरपुर महामाया मेडिकल कॉलेज में 22 वर्षीय युवती की मौत, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप* हिंदी दैनिक खबर / सागर की आवाज

!अम्बेडकरनगर जनपद। टांडा स्थित महामाया एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर में एक और डॉक्टरों की घोर लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसमें निवासी ग्राम आसोपुर नई बस्ती डिहवा टांडा जनपद अंबेडकर नगर की एक 22 वर्षीय युवती सकीना खातून पुत्री मोहम्मद नसीम उर्फ अबू तलहा की मौत हो गई। युवती के परिजनों का आरोप है। कि इलाज के लिए महामाया मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर में बीते मंगलवार को समय प्रातः लगभग साढ़े 11 बजें इलाज के लिये भर्ती कराया था, लेकिन ईलाज के लिए कोई डॉक्टर न मौजूद हुए और न ही सूचना देने पर आए, मरीज़ को बगैर वीवो लगाए वीवो पास में छोड़ गए और मरीज के पास ही रखा रह गया। भर्ती मरीज को कोई भी डॉक्टर देखने तक नहीं पहुंचा और शाम तक उसकी मौत हो गई! और इस घटना के बाद परिजनों में महामाया मेडिकल कॉलेज में चीख पुकार मच गई। काफी देर बाद पुलिस को सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने आनन-फानन में मृतका को घर के लिए भेज दिया। यह घटना महामाया एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर की व्यवस्था पर और डॉक्टरों के घोर लापरवाही पर सवाल खड़ा करती है, जो सरकार और समाज के उदासीन बन रहा है। महामाया मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर की व्यवस्था वर्तमान समय में चरमराई गई है, जहां डॉक्टर और कर्मचारी अपनी घोर लापरवाही देखी गई। इस गंभीर घटना से कही न कही सूबे कि सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य चिकित्सा पर सवाल उठाती है,जहां मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों की व्यवस्थाओं को लेकर तरह तरह के दिशानिर्देश जारी करने के बाद भी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के डाक्टरों व व्यावस्थाओं पर सवाल उठ रहे है। अब सवाल यह उठते नज़र आ रहे की आखिरकार जिम्मेदारानों द्वारा समय समय पर अस्पतालो और मेडिकल कॉलेजों की व्यावस्थाओं की जांच करना चाहिए जिससे मरीजों और उसके तिमारदारों को किसी तरह की असुविधा न हो सके हालांकि अम्बेडकरनगर जनपद के जिलाधिकारी अविनाश सिंह स्वास्थ्य चिकित्सा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिये लगातार निर्देश जारी करते है लेकिन मेडिकल कॉलेज, व सरकारी अस्पतालों के जिम्मेदारानों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती जो अपने आप में सोचिए विषय है कहते है डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होता अगर ऊपर भगवान है तो नीचे डॉक्टर है जिनको बिना भेदभाव के किसी के भी जीवन को बचाने महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए लेकिन अगर वही डॉक्टर किसी कारण वश चाहे वो गम्भीर बीमारी मरीज के पीड़ित होने के कारण या अन्य किसी कारण वश डॉक्टर अगर मरीज को देखने तक नही पहुंचे तो ये कही न कही सिस्टम की बड़ी लापरवाही देखी जा रही है

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