अम्बेडकरनगर ! जनपद के बहुप्रतीक्षित नगर पालिका परिषद टाण्डा विभाग के जिम्मेदारान अधिकारियों कर्मचारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से पूर्व में हुए टेंडर प्रक्रिया में बड़ी अनियमितता किए जाने की जानकारी सूत्रों द्वारा प्राप्त हो रही है। वही बीते अप्रैल माह और मई माह में हुए 95 निर्माण कार्य के टेंडरों को अभी तक खोला नहीं जा सका है। प्राप्त जानकारी सूत्रों के अनुसार, ठेकेदारों और नगर पालिका विभाग की मिलीभगत से टेंडर शुल्क में गड़बड़ी की गई है। टेंडर शुल्क में भारी अनियमितता पाई गई है। वही ठेकेदारों द्वारा अपने बैंक खाते से बैंक ड्राफ्ट से टेंडर शुल्क ना जमा कर बल्कि अन्य के खातों से जमा कराए जाने की जानकारी प्राप्त हो रही हैं। इस बात से यह साफ जाहिर होता है। कि टेंडर शुल्क ठेकेदारों द्वारा जमा किया गया है या उनके किसी अन्य सहयोगियों द्वारा जमा किया गया है। विकास कार्यों का टेंडर प्रक्रिया अधूरी है। लगभग एक माह से अधिक बीतने को है। लेकिन अब तक किसी भी विकास कार्यों के टेंडर प्रक्रिया को पूरा नही किया जा सका है सभी प्रक्रियाएं अधूरी है। क्या नगर पालिका परिषद टाण्डा द्वारा कोई बड़ा गेम करने की कोशिश जा रही है या सिर्फ चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया जाने का प्रबंध किया जा रहा है। इससे सभासदों और अन्य ठेकेदार से लेकर आमजनों में भारी आक्रोश व्याप्त है। जबकि योगी सरकार की नियत पर सवाल खड़ा कर दिया है। इस अनियमितता से योगी सरकार के दावो को पलीता लगाने में जुटे है नगर पालिका के जिम्मेदारान अधिकारी और कर्मचारी बहरहाल जो कुछ भी उक्त प्रकरण को लेकर नगर पालिका परिषद टाण्डा से लोगो का विश्वास उठता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि सोशल मीडिया पर तेज़ी वायरल पोस्ट को देखते हुए अपर जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी/प्रभारी अधिशाषी अधिकारी को कड़ा रूख अख्तियार करना चाहिए और पूर्व हुए टेंडरों को निरस्त कर देना चाहिए।सुझाव टाण्डा नगर पालिका परिषद को चाहिए कि वह टेंडर प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए। जिससे ठेकेदारों और विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।